Tuesday, November 24, 2009

Amitabh Nama - Day 582

Respected Brother
Sadar Charan Sparsh

I think I did want to write to you yesterday from home.. yet could not connect due to MTNL line not working for me.. it does not matter.. does it really..

Coming to your post of excessibe pain and just too much on your plate and being a mechanical toy.. I know one thing whatever you undertake.. in whatever role or capacity you give it your best shot.. err.. best effort to be more correct.. no wonder than that you excel where most others croak under pressure.. you excite us with such honest appeal.. I wish you continue forever in such excellence not only with your forthcoming films and TV ventures but in every sphere of life.. aap prerana ke aise shrot ho jo samay ke saath saath aur nikharta jaata hai.. aur bhi majbooti ke saath marg-darshan karata chalata hai.. ek atoot vishwaas ki bhanti hamaare vishwaas aur iraadon ko nai disha dene me aapse kabhi kahin koi chook nahi hoti..

आप वास्तव में महान है और इस बात का सच मानिए हमें भी बहुत अभिमान है.. आप के लिखे पत्र हमें कितना आनंद देते है इसका तो खुदा ही गवाह है.. जितनी खुशी आपसे मिली है शायद हमारी मोहब्बतें ही उसे बयां कर सकती हैं.. हम दो अनजाने लोगो की तरह नही बल्कि याराना दोस्ताना निभाते हुए एक दूसरे से मिलते हैं.. हमारे बीच कोई दीवार नही आ सकती..

आपके बेमिसाल व्यक्तित्व के लिए अगर कभी-कभी हम आपको शहेंशाह या मुक़द्दर का सिकंदर कहें तो इसका जुर्माना भरने के लिए कोई हमें मजबूर नही कर सकता.. इस प्यार की कहानी में परवाना बनकर शोले झेलने की शक्ति हमें उस त्रिशूल से मिली है जो गंगा की सौगंध खाने के बाद मिला था.. यह सिर्फ़ कसमे-वादे की ही नही संजोग की भी बात है..

एक नज़र देख लेने पर ही आप के अभिनय के हम सब कायल हो चुके हैं.. ब्लैक हो या white.. आप हिन्दी सिनेमा के Don हैं.. जिस शान से आप अभिनय के अग्निपथ को पार करते हो ऐसा लगता है कि जैसे किसी तीन पत्ती के एक ग्रेट गेम्बलर ने सत्ते पे सत्ता मारा हो.. दुनिया की किसी भी अदालत का कोई भी अंधा कानून हमें सिर्फ इसलिए गिरफ्तार नही कर सकता कि हाँ हमें आपसे मोहब्बत है..

यह सिलसिला इसी तरह चलता रहेगा, सरकार ना हम आप के विरुद्ध कुछ सुन सकते हैं न ही कभी सुनेंगे । कभी-कभी ज़िन्दगी में कभी खुशी तो कभी गम भी मिलता ही रहता है, फिर भी आपने जो अपना खून पसीना बहाया है कोई उसे हेरा-फेरी कहेगा तो यह एक सच्चे मर्द की मर्दानगी न होगी । वैसे दो और दो चार होते हैं फिर चाहे जोड़ने की बात हो या गुणा करने की पर अगर आप कहते है कि नही बेटा पांच होते है तो हमें आपकी बात से कैसे इंकार हो सकता , हो ही नही सकता, आखिर हम कौन है ।
यह हमारा अच्छा नसीब नही तो और क्या है.. एक कुली को भी आपसे उतना ही प्यार है जितना किसी जादूगर को उसके काले पत्थर से.. हमारी परवरिश तूफ़ान में हुई है बरसात की एक रात से हमें कैसा डर.. फिर जब राम बलराम का साथ हो तो क्यों न हम आज का अर्जुन बनकर गंजा जमुना सरस्वती के किनारों पर क्यों न अपने ऊंचे अलाप में सुर मिलाकर जाकर सबसे क्यों न कह दें कि- हाँ मैं आज़ाद हूँ..

चलिए मेरे फरार होने का वक्त भी आ पहुँचा है.. खाकी वर्दी वाले चारों तरफ़ चुपके-चुपके टहलकदमी कर रहें हैं.. कहीं ऐसा न हो बंसी बिरजू अपनी मंजिल पर पहुंचने से पहले ही बंटी बबली की तरह धर लिए जाएँ..

सात हिन्दुस्तानी के साथ हमारा और आपका जो एक रिश्ता शुरू हुआ ठा.. ४ दिसम्बर को पा के रिलीज़ होने पर यह एक अजूबा बनकर आपको दुनिया भर में निशब्द ही आपको अभिनय के सबसे ऊंचे पायदान पर बिठा देगा..

कोई मुझे बेशरम कहे या नमक हराम.. देव से इतनी ही प्रार्थना है कि आप किसी भी कसौटी पर मुझे नमक हलाल ही समझे.. आप सुन रहे हैं न मिस्टर नटवरलाल । देश प्रेमी होने की बात मैं नही करता पुकार कर यह भी नही कहता की हाँ मैं खुद्दार हूँ.. नही, नही, इससे पहले की मैं लिखना बंद करुं कालिया से यह कहना या बताना उचित ही रहेगा कि आपके अभिनय में वो नशा है कि एक शराबी भी ज़ंजीर तोड़ कर आपसे मिलाने दौड़ा चला आता है.. हां, एक बात बताना तो मै भूल ही गया था कि अब मैं लावारिस नही आप मेरे भाई समान जो हैं.. मेरा ज़मीर इस बात को कबूल करता है कि आप से एक रिश्ता तो कायम हो ही गया है ।

चीनी कम चाय शायद भूतनाथ को पसंद हो.. मेरी ऑंखें तो भारत के अमर-अकबर-एंथनी को साथ साथ देखने को लालायित हैं फिर उसके लिए मुझे बॉम्बे टू गोवा ही क्यों न जाना पड़े..अब तो हम आपकी फॅमिली में भी शामिल हो गए हैं.. आपके साथ किसी भी रण में जाने को तैयार हैं हम.. आप हमारे गुरू द्रोण है तथा हम उस एकलव्य के समान है जिसने शिक्षा पाकर दीक्षा में अपना अंगूठा ही गुरुदेव को समर्पित कर दिया था । आप जानते है कि अलादीन का जादुई चिराग अगर मुझसे कहे कि क्या हुकुम है मेरे आका - बस उससे यही कहना है कि किसी भी प्रकार का कष्ट कभी भी आपको विचलित न कर सके, सदैव ही आपके मन में शांति, समन्वयता तथा भाईचारे की भावनायें हमारे लिये एक नई दिशा प्रशस्त करती रहें । विशेष रूप से अगर आप मानवता को परमाणु बम के कुमार्ग से विस्थापित कर सकें तब इससे बढ कर कोई अन्य वरदान मै नही चाहता ।

कभी अलविदा न कहना..

अभय शर्मा

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