Thursday, November 5, 2009

Amitabh Bachchan Day 563

आदरणीय भाईसाहब
सादर चरण स्पर्श
When the heart takes over the mind.
When a rush of emotion penetrates the being.
When a warmth pervades the flush on our skin.
When dew shaped invisible capsules begin to swell under the eyes.
When the hair tingles upon the arms and wrists.
When words fail to form.
Then can we safely say that we have been overtaken by emotion.


जब दिल दिमाग पर हावी हो
और मन में भावनायें बहती हो
जब बदन को कुछ, गर्माहट सी छू जाती हो
और शबनम सी बूंदें, आंखो के नीचे जमती दिखती हो
जब रोयें बांहो के कलाई के सर के बल खड़े दिखाई दे
और शब्द नही कुछ बन पायें (और न ही कुछ वे कह पायें)
कहना मुश्किल न होगा तब, भावुकता ने धरा दबोचा है ।

सप्रेम
अभय शर्मा
पुनश्चः कश्मीरा दी, रवि मल्होत्रा, सुधीर, सिस रोज़, किशोर भट्ट, प्रीति के, ऎश्वर्या तथा टम्पा घोष इत्यादि सभी की यही राय है कि मै यहां लिखता रहूं मै भी चाहता हूं कि अगर मै गलत नही हूं तब यहां नही लिखने का क्या औचित्य हो सकता है ।


मन के हारे हार है मन के जीते जीत । या अगर यही बात डॉक्टर बच्चन की जुबानी कहनी हो –
मन का हो तो अच्छा है
मन का न हो तो और भी अच्छा है ।

No comments:

Post a Comment