जब तक हम स्वयं कुछ नही करेंगे, हमारे विचार धरे के धरे ही रह जायेंगे ।
जीवन की अधिकांश समस्याए हमारे ऊपर निर्भर हैं, हमने क्या कहा माने नही रखता किस तरह कहा यही समस्या का प्रमुख कारण है ।
किसी अपराधी को माफ़ कर हम उसे आजाद करते है साथ ही यह भी जान जाते है की अपराधी तो हम ख़ुद ही थे ।
कल तक हम चालाक थे समझते थे कि हम दुनिया को बदल सकते हैं अब हम सयाने हो गए है यह समझ गए है कि पहले ख़ुद को तो बदल कर देख लें ।
एक सही निर्णय अनुभव से ही संभव है पर अनुभव हमें गलती करने के बाद ही होता है ।
किसी सफलता के लिए सफलता का नशा या जूनून ही हमें सफलता दिला सकता है ।
किसी एक बात को बेहतर बनाना हजारों बातों को ग़लत साबित कराने से कहीं बेहतर है ।
अभय शर्मा
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