Saturday, February 21, 2009

सुभाषितानि - अमिताभ बच्चन ३०३ वाँ दिवस

जब तक हम स्वयं कुछ नही करेंगे, हमारे विचार धरे के धरे ही रह जायेंगे ।

जीवन की अधिकांश समस्याए हमारे ऊपर निर्भर हैं, हमने क्या कहा माने नही रखता किस तरह कहा यही समस्या का प्रमुख कारण है ।

किसी अपराधी को माफ़ कर हम उसे आजाद करते है साथ ही यह भी जान जाते है की अपराधी तो हम ख़ुद ही थे ।

कल तक हम चालाक थे समझते थे कि हम दुनिया को बदल सकते हैं अब हम सयाने हो गए है यह समझ गए है कि पहले ख़ुद को तो बदल कर देख लें ।

एक सही निर्णय अनुभव से ही संभव है पर अनुभव हमें गलती करने के बाद ही होता है ।

किसी सफलता के लिए सफलता का नशा या जूनून ही हमें सफलता दिला सकता है ।

किसी एक बात को बेहतर बनाना हजारों बातों को ग़लत साबित कराने से कहीं बेहतर है ।

अभय शर्मा

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