अमिताभः क्यों मेरे पीछे पड़ॆ हो ?
अभयः आपके आगे नही पड़ सकता ।
अमिताभः यह क्या मजाक है, कभी क्विज़, कभी कविता यह सिलसिला कहीं खत्म होगा भी या नही ?
अभयः यह कभी खत्म न होने वाला सिलसिला है भाई, लगता है ईंटरव्यू तो पढ़ा ही नही ।
अमिताभः पढ़ लिया, अच्छी खिचड़ी पक रही है तुम लोगों की, इसे खायेगा कौन ?
अभयः जो पकाता है वही खायेगा भी, अगर आपके पेट में दर्द है तो आपको भी थोड़ी परोस दें ।
अमिताभः मेरे पेट में कोई दर्द नही है, अगर सिर में दर्द हो गया तो समझ लो, समझदार को इशारा ही काफ़ी होना चाहिये, जानते हो ना मै कौन हूं ?
अभयः हां, भाई आप डॉन हैं, आप महान है, आप शहंशाह है, आप एक आजूबा हैं आप बेमिसाल है, आप क्या नही हैं ?
अमिताभः अच्छा-अच्छा अब बस करो, अगर एक उल्टे हाथ का पड़ गया तो मालूम है ना क्या होगा ?
अभयः अगर मारना ही है भाई तो सीधे हाथ का मारना, आप लैफ़्टी हो, उल्टे हाथ का बहुत कर्रा लगेगा ।
अमिताभः अच्छा यह बताओ यह कवितायें कहां से चुराते हो?
अभयः क्यों भाई ? अपको भी चुरानी हैं क्या ?
अमिताभः जबान लड़ाना खूब आ गया है, शर्म नही आती ?
अभयः भाई और कुछ लड़ा नही सकता हाथों का काम भी जबान से ही चला लेता हूं, पहले कभी-कभी आती थी आपकी बेशर्म देखने के बाद अब कभी नही आती ।
अमिताभः बातें मत बनाओ, सच सच बताओ, तुम कविता लिख लेते हो ?
अभयः हां, हां, सविता से शादी करने के बाद कविता लिखना ही तो बाकी रह गया है, बस ।
अमिताभः तब क्या अगर रानी से शादी करते तो कहानी लिखते ?
अभयः करवा दीजिये तुरंत पता चल जायेगा, अगली फ़िल्म की कहानी भी मिल जायेगी।
अमिताभः ये आजकल हिंदू-मुसलमानों को क्यों मिलवाने पर अड़े हो ?
अभयः क्योंकि कुछ लोग उन्हे लड़वाने पर तुले हुये हैं ।
अमिताभः क्या तुम मेरे लिये काम करोगे ?
अभयः दाम मिलेंगे तो क्यों नही करूंगा, आपने भी तो ठाकुर सामने शोले में यही शर्त रखी थी।
अमिताभः क्या क्या कर सकते हो?
अभयः कुछ भी कर सकता हूं, आप कह कर तो देखो, जिस काम को पांच आदमी एक दिन में कर सकत है उसे मै पांच दिन में पूरा कर सकता हूं, हां । बस नही कर सकता तो खड़े-खड़े आपकी हजामत नही कर सकता ।
अमिताभः बदतमीज क्या बकते हो, जानते नही तुम किस से बात कर रहे हो? अपने हाथ-पैरों का बीमा करवा रखा है या नही ?
अभयः भैया आप तो बेकार में ही गरम हो रहे हो, आप खड़े होगे तो मुंह पर क्रीम कैसे लगाउंगा, आप ठहरे 6 फुट 2 इंच मैं सिर्फ फ़ाइव एंड हाफ़, हजमत बनाने के लिये स्टूल लगाना पड़ेगा ।
अमिताभः यह क्विज़ का बेतुका सवाल जया से पूछने की क्या जरूरत थी, मुझसे नही पूछ सकते थे, मैं मर गया था क्या?
अभयः आप जवाब नही देते, पिक्चर राजेश खन्ना के साथ थी, आपसे पूछता तो मै मर जाता ।
अमिताभः कल से मेरे ब्लाग पर यह सब नही चलेगा ?
अभयः तो फिर क्या चलेगा?
अमिताभः जो भी लिखो छोटा लिखो, जितना हो सके उतना कम लिखो, लिखो तो कभी-कभी लिखो, कुछ आज तो कुछ एक महीने बाद लिखो । बात तुम्हारे कुछ पल्ले पड़ रही है या नही या सब सिर के उपर से जा रही है?
अभयः पल्ला तो मैने कल से ही झाड़ लिया था, पल्ले में कुछ डालना था पहले से क्यों नही बताया, यह बात मेरी समझ के बाहर है । वैसे भी जब मै लिखता हूं तब मै थोड़े ही लिखता हूं ।
अमिताभः भैये, तुम नही लिखते तो क्या कोई भूत आकर जबर्दस्ती तुमसे लिखवा जाता है, यह कैसा भूत तुम्हारे सिर पर सवार है ?
अभयः आप ही का भूत है सरकार ।
अमिताभः क्या बकते हो, मै जीता-जागता तुम्हारे सामने खड़ा हूं, 6 फुट 2 इंच का आदमी तुम्हें दिखाई नही देता?
अभयः आप महान है भाईसाहब, आप के जिंदा रहते हुये भी आपका भूत लोगों पर सवार रहता है, शायद भूतनाथ वाला भूत है या कोई अन्य भटकता हुआ भूत होगा दीवार, शोले या कसमे-वादे वाला आप तो कई फ़िल्मों में मर चुके हो भाई। उन्ही में से किसी एक का भूत होगा । वैसे आपके मरने का अंदाज़ तो दीवार में देखा था, मरते मरते भी क्या गजब के डायलाग बोले थे भाई मुझे तो लगता है वही भूत चढ़ गया है।
अमिताभः अबे बेबकूफ, पिक्चर में जब हम मरते है तब हम मरते थोड़े ही है, भूत का सवाल ही कहां पैदा होता है ?
अभयः तब क्या भाई भूत का जवाब पैदा होता है ? तनिक एक बात बताओ भैया यह भूत का जवाब भी क्या भूत के सवाल जैसा ही होता है ? क्या वह भी उतना ही खतरनाक या उतना ही डरावना होता है जैसे बाकी के भूत । यह सब क्या लिखवाये जा रहे हो हमसे रात में । आजकल वैसे ही हमें अकेला सोना पड़ता है, यह बात अब और आगे ना बढ़ाओ, हम तो बस निरे नाम के ही अभय है, असल जिंदगी में तो चींटी भी हम पर भारी पड़ती है । सुसरी काटती है तो समझो प्राण निकाल लेती है हलक मे से ।
अमिताभः अजीब घनचक्कर हो, पचास साल के हो गये हो और छोटी-छोटी या झूठ-मूठ की बातों से इस तरह घबराते हो जैसे पांचवी क्लास का बच्चा। चलो छोड़ो अगर तुम वाकई डर गये हो तो सोने से पहले हनुमान चालीसा पढ़ लेना ।
अभयः चला जा रहा था मै डरता हुआ हनुमान चालीसा पढ़ता हुआ, बोलो हनुमान की जय, जय-जय बजरंग बली की जय ।
अभयः आपके आगे नही पड़ सकता ।
अमिताभः यह क्या मजाक है, कभी क्विज़, कभी कविता यह सिलसिला कहीं खत्म होगा भी या नही ?
अभयः यह कभी खत्म न होने वाला सिलसिला है भाई, लगता है ईंटरव्यू तो पढ़ा ही नही ।
अमिताभः पढ़ लिया, अच्छी खिचड़ी पक रही है तुम लोगों की, इसे खायेगा कौन ?
अभयः जो पकाता है वही खायेगा भी, अगर आपके पेट में दर्द है तो आपको भी थोड़ी परोस दें ।
अमिताभः मेरे पेट में कोई दर्द नही है, अगर सिर में दर्द हो गया तो समझ लो, समझदार को इशारा ही काफ़ी होना चाहिये, जानते हो ना मै कौन हूं ?
अभयः हां, भाई आप डॉन हैं, आप महान है, आप शहंशाह है, आप एक आजूबा हैं आप बेमिसाल है, आप क्या नही हैं ?
अमिताभः अच्छा-अच्छा अब बस करो, अगर एक उल्टे हाथ का पड़ गया तो मालूम है ना क्या होगा ?
अभयः अगर मारना ही है भाई तो सीधे हाथ का मारना, आप लैफ़्टी हो, उल्टे हाथ का बहुत कर्रा लगेगा ।
अमिताभः अच्छा यह बताओ यह कवितायें कहां से चुराते हो?
अभयः क्यों भाई ? अपको भी चुरानी हैं क्या ?
अमिताभः जबान लड़ाना खूब आ गया है, शर्म नही आती ?
अभयः भाई और कुछ लड़ा नही सकता हाथों का काम भी जबान से ही चला लेता हूं, पहले कभी-कभी आती थी आपकी बेशर्म देखने के बाद अब कभी नही आती ।
अमिताभः बातें मत बनाओ, सच सच बताओ, तुम कविता लिख लेते हो ?
अभयः हां, हां, सविता से शादी करने के बाद कविता लिखना ही तो बाकी रह गया है, बस ।
अमिताभः तब क्या अगर रानी से शादी करते तो कहानी लिखते ?
अभयः करवा दीजिये तुरंत पता चल जायेगा, अगली फ़िल्म की कहानी भी मिल जायेगी।
अमिताभः ये आजकल हिंदू-मुसलमानों को क्यों मिलवाने पर अड़े हो ?
अभयः क्योंकि कुछ लोग उन्हे लड़वाने पर तुले हुये हैं ।
अमिताभः क्या तुम मेरे लिये काम करोगे ?
अभयः दाम मिलेंगे तो क्यों नही करूंगा, आपने भी तो ठाकुर सामने शोले में यही शर्त रखी थी।
अमिताभः क्या क्या कर सकते हो?
अभयः कुछ भी कर सकता हूं, आप कह कर तो देखो, जिस काम को पांच आदमी एक दिन में कर सकत है उसे मै पांच दिन में पूरा कर सकता हूं, हां । बस नही कर सकता तो खड़े-खड़े आपकी हजामत नही कर सकता ।
अमिताभः बदतमीज क्या बकते हो, जानते नही तुम किस से बात कर रहे हो? अपने हाथ-पैरों का बीमा करवा रखा है या नही ?
अभयः भैया आप तो बेकार में ही गरम हो रहे हो, आप खड़े होगे तो मुंह पर क्रीम कैसे लगाउंगा, आप ठहरे 6 फुट 2 इंच मैं सिर्फ फ़ाइव एंड हाफ़, हजमत बनाने के लिये स्टूल लगाना पड़ेगा ।
अमिताभः यह क्विज़ का बेतुका सवाल जया से पूछने की क्या जरूरत थी, मुझसे नही पूछ सकते थे, मैं मर गया था क्या?
अभयः आप जवाब नही देते, पिक्चर राजेश खन्ना के साथ थी, आपसे पूछता तो मै मर जाता ।
अमिताभः कल से मेरे ब्लाग पर यह सब नही चलेगा ?
अभयः तो फिर क्या चलेगा?
अमिताभः जो भी लिखो छोटा लिखो, जितना हो सके उतना कम लिखो, लिखो तो कभी-कभी लिखो, कुछ आज तो कुछ एक महीने बाद लिखो । बात तुम्हारे कुछ पल्ले पड़ रही है या नही या सब सिर के उपर से जा रही है?
अभयः पल्ला तो मैने कल से ही झाड़ लिया था, पल्ले में कुछ डालना था पहले से क्यों नही बताया, यह बात मेरी समझ के बाहर है । वैसे भी जब मै लिखता हूं तब मै थोड़े ही लिखता हूं ।
अमिताभः भैये, तुम नही लिखते तो क्या कोई भूत आकर जबर्दस्ती तुमसे लिखवा जाता है, यह कैसा भूत तुम्हारे सिर पर सवार है ?
अभयः आप ही का भूत है सरकार ।
अमिताभः क्या बकते हो, मै जीता-जागता तुम्हारे सामने खड़ा हूं, 6 फुट 2 इंच का आदमी तुम्हें दिखाई नही देता?
अभयः आप महान है भाईसाहब, आप के जिंदा रहते हुये भी आपका भूत लोगों पर सवार रहता है, शायद भूतनाथ वाला भूत है या कोई अन्य भटकता हुआ भूत होगा दीवार, शोले या कसमे-वादे वाला आप तो कई फ़िल्मों में मर चुके हो भाई। उन्ही में से किसी एक का भूत होगा । वैसे आपके मरने का अंदाज़ तो दीवार में देखा था, मरते मरते भी क्या गजब के डायलाग बोले थे भाई मुझे तो लगता है वही भूत चढ़ गया है।
अमिताभः अबे बेबकूफ, पिक्चर में जब हम मरते है तब हम मरते थोड़े ही है, भूत का सवाल ही कहां पैदा होता है ?
अभयः तब क्या भाई भूत का जवाब पैदा होता है ? तनिक एक बात बताओ भैया यह भूत का जवाब भी क्या भूत के सवाल जैसा ही होता है ? क्या वह भी उतना ही खतरनाक या उतना ही डरावना होता है जैसे बाकी के भूत । यह सब क्या लिखवाये जा रहे हो हमसे रात में । आजकल वैसे ही हमें अकेला सोना पड़ता है, यह बात अब और आगे ना बढ़ाओ, हम तो बस निरे नाम के ही अभय है, असल जिंदगी में तो चींटी भी हम पर भारी पड़ती है । सुसरी काटती है तो समझो प्राण निकाल लेती है हलक मे से ।
अमिताभः अजीब घनचक्कर हो, पचास साल के हो गये हो और छोटी-छोटी या झूठ-मूठ की बातों से इस तरह घबराते हो जैसे पांचवी क्लास का बच्चा। चलो छोड़ो अगर तुम वाकई डर गये हो तो सोने से पहले हनुमान चालीसा पढ़ लेना ।
अभयः चला जा रहा था मै डरता हुआ हनुमान चालीसा पढ़ता हुआ, बोलो हनुमान की जय, जय-जय बजरंग बली की जय ।
Mujhe Hindi Nahin Aata......
ReplyDeleteKripa kar ke isey English mein translate kar dejiyega....Thanyawad.
Ek shubh Chintak.