Monday, August 24, 2009

amitabh day 490


आदरणीय परम प्रिय भाईसाहब
सादर चरण स्पर्श
अत्र कुशलं तत्रास्तु के उपरांत यह पत्र आपके सम्मुख प्रारंभ करने हेतु उपस्थित हुआ हूं । आगे समाचार यह है कि आपके यथोचित विचारों से अवगत होने का सौभाग्य या अवसर जो हम लोगों को प्राप्त है उसके लिये आपका विशेष आभार प्रकट करते हुये इस वार्ता को आगे लिये चलते हैं ।
यहां यह बता देना आवश्यक है कि जिस प्रकार आप हम लोगों के प्रति इतने अधिक आकृष्ट है उतना ही आकर्षण या आप उसे जो भी नाम देना चाहें हम लोग भी आपके प्रति कुछ कुछ ऎसी ही भावनाओं के साथ यहां इस ब्लाग पर लिखने को आतुर रहते हैं । यदाकदा इसमें कहीं कोई त्रुटि अगर हम लोगो से हो भी जाती है तब भी इस बात का मुझे या कहिये हम सभी को विश्वास है, यकीन है कि आप उसे अवश्य ही अनदेखा या नजरअंदाज कर देते हो । यह पारस्परिक विचारों का आदान-प्रदान, अपनी-अपनी भावनाओं से एक दूसरे को अवगत कराना, आस-पास घटित घटनाओं पर टीका-टिप्पणी करना तथा कितने ही अन्य पहलुओं पर वाद-विवाद में हिस्सा लेना अपने आप में एक अविस्मरणीय अनुभव से कम नही है ।
आपके अपने जीवन के विषय में जितना करीब से हम लोग आपको जान पाये है या समझ सके हैं उसमें इस ब्लाग का कम योगदान नही है इस बात से तो आप स्वयं भी अपरिचित नही होंगे, अनभिज्ञ नही हो सकते ऎसा मेरा अपना मत है । जीवन में आपसे प्रेम अथवा लगाव तो सदैव ही रहा पर आपके सन्निकट होकर अपनी बात आप तक पहुंचाने का परम सौभाग्य पिछले एक वर्ष में इस ब्लाग पर ही संभव हो सका है । मै समझता हूं कुछ-कुछ इस प्रकार के विचार आपके मन में भी अवश्य ही उठते होंगे । इस ब्लाग द्वारा आप अपने प्रति समर्पित जनसमूह के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम तो मान ही सकते है । कुछ लोग जिन्होने आपसे एक अच्छे अभिनेता होने के नाते सदा ही प्यार किया, आपके द्वारा अभिनीत फ़िल्मों को सराहा या जिन्हे आपके व्यक्तिगत जीवन के बारे में जानने की रुचि थी यह ब्लाग वास्तव में मील के पत्थर का वह पड़ाव है जिसका कोई अन्य माध्यम बराबरी नही कर सकता । हां, मैं यह भी अवश्य ही कहना चाहूंगा कि इस को सपने को साकार करने में आपकी भूमिका हम सबसे कहीं अधिक अहम है, आपकी इच्छा हम सबसे कहीं अधिक बलवती है, आपका नियमित रुप से यहां लिखना इस बात का द्योतक बन गया है कि हमारा आपसे अब एकतरफ़ा रिश्ता नही रह गया है, हम लोग एक परिवार के सदस्य की भांति एक दूसरे के इतने निकट हो गये हैं कि भौतिक स्तर पर आपसे मिलना या हाथ मिलाना या किसी अन्य रुप में आपसे निकटता जाहिर करना इस निकटता की बराबरी कतई नही कर सकता । मेरा अपना मानना है कि आपके जीवन का यह संस्करण (क्षमा चाहूंगा आपके जीवन को इस तरह आबद्ध करने के लिये) सत्तर के दशक के एंग्री यंग मैन से किसी भी दृष्टि से कम नही है । मेरे कितने ही प्रश्नों के उत्तर मुझे बिना पूछे ही मिल जाते हैं, कभी-कभी यह एहसास भी हुआ है कि आप चाहे नाम लेकर ना भी कहें फिर भी हम लोगों के प्रश्नों के उत्तर आपने यथासंभव देने का सदा ही प्रयास किया है ।
इसे आप अगर मात्र प्रशंसात्मक दृष्टि से ना देखे तों आप पायेंगे कि हज़ारों अभय आप के प्रति यूं ही नही उमड़े चले आते हैं, आपके कलम से, ओह, कम्प्यूटर से प्रेषित भावों में कुछ निरालापन तो अवश्य है जो हम सबको अपनी तरफ़ खींचता है, प्रत्युत्तर में कुछ कहने को बाध्य करता है, आपके और अधिक निकट आने की हम सबको सलाह देता है ।
अगर मैं, मै ना होकर हम कहूं तब यह अधिक उचित होगा, कि हम सब आपके इस अवतार से अत्यधिक प्रसन्न है, हमारी यही चेष्टा रहेगी कि आप और हम इन्ही बंधनों में बंधे रहें एक परिवार के सदस्य की तरह जहां कोई आपको अपना भाई मानता है, कई अन्य आप के प्रति आस्था में रिश्तों से अधिक आपके व्यक्तित्व को तवज्जो देते है, आपके सर्वसंपन्न गुणों से परिपूरित जीवन को कुछ अन्य आदर्श मान कर भी चल रहे है तो कोई गलत काम नही कर रहे हैं । डॉक्टर बच्चन तथा श्रीमती तेजी बच्चन आज स्वर्ग में अवश्य ही इस बात से अत्यधिक प्रसन्न होंगे कि उनका लाल आज जो भी कर रहा है अच्छा ही कर रहा है । अब मुझे आज्ञा दें, मेरी त्रुटियों की ओर ध्यान ना देकर अगर यहां व्यक्त भावनाओं को ही सर्वोपरि मानेंगें तब मेरे आनंद की कोई सीमा नही रहेगी । नही, नही आपको इस पत्र का उत्तर देने की कोई आवश्यकता नही, आप इसे एक बार पढ़ लेंगे वही मेरे पत्र का उत्तर हो जायेगा, मेरे लिये यही पर्याप्त है कि मेरा लिखा आपने एक बार पढ़ तो लिया, इससे अधिक कुछ भी नही हो सकता ।

आपका अपना अभय
अभय शर्मा, भारत, 24 अगस्त 2009 9.15 प्रातः
पुनश्चः सदा ही मै हिंदी में इतने विस्तार से लिख पाउंगा इसकी आशा कम ही है । इस बात से हमें निराश नही होना चाहिये कि हम क्या नही कर सकते अपितु इस बात से संतुष्ट रहना चाहिये कि हम क्या कुछ कर सकते हैं ।

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