Tuesday, April 7, 2009

Amitabh Bachchan - April 7 2009 1:09 AM IST

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर

जय कपीस तिहूं लोक उजागर

आदरणीय भाईसाहब
सादर चरण स्पर्श

कभी कभी लगता है कि यह बेमिसाल सिलसिला अब थमने को है, कई दिनों से आपके ब्लाग पर लिखा अच्छा भी लगा साथ ही अपने आप पर अश्चर्य भी हुआ विशेषकर आपके द्वारा लिखे मेरे प्रति कुछ शब्द जिनकी मुझे कम उम्मीद थी, यह सब बहुत ही अच्छा लगा .. मै महान नही ना ही किसी बात का अभिमान मेरे अंदर है, यह आनंद मुझे कई वर्षों तक अपनी जंज़ीर में जकड कर रखेगा । यह बात कि मैने इतने दिन आप के साथ वार्ता की इस बारे में यही कह सकता हूं कि आप जितने अच्छे अभिनेता है उससे भी कहीं अच्छे एक इंसान है ।

क्या मै लिखते लिखते अब कुछ थक गया हूं
या मैं अपने बंधनों से फिर से जाके बंध गया हूं
सोचता हूं इस समय क्या स्वप्न से मै जग गया हूं
भाई तुमको मान कर ना जाने क्या क्या लिख गया हूं

क्यों आज फिर मै लिखते लिखते रुक गया हूं
पांव छूने को तुम्हारे आज फिर मै झुक गया हूं
हे अमित अभिनय को है अभिमान तुम पर जानता हूं
लेखनी में भी तुम्हारी है मिला वरदान तुमको मानता हूं ।

अभय शर्मा भारत 7/8 अप्रैल 2009 12.40 रात्रि प्रहर

पुनश्चः त्रुटियों की ओर ध्यान अगर चला ही जाये तब अनुज समझ कर क्षमा अवश्य ही कर देना। यहां कई नये लोगों से मुलाकात हुई कुछ एक से मित्रता भी हुई है, कुछ एक को मेरा लिखा पसंद आया कुछ एक उसे पढ़कर मायूस भी हुये होंगे । रीहम, रोज़, राशा, रेश्मी (फ़िलिप), राऍशेल जे अतिरिक्त कितने ही अन्य लोगों से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ, सुभाष जी, रवि मल्होत्रा, कश्मीरा दी एवं दीपक टॊंक से विशेष स्नेह भी प्राप्त हुआ । सर्वोपरि आपने मेरा लिखा पढ़ा ही नही वरन कई मर्तबा आपने प्रशंसा भी व्यक्त की, शायद जिसका मै सही हकदार न होते हुये भी कभी भूल नही सकता । आपने मुझे प्रसन्न करने के लिये ही क्यों न लिखा हो आपने लिखा यह मेरे लिये कोई मामूली बात नही । भगवान महावीर जी की जयंती के अवसर पर आप सबको मेरी शुभकामनायें ..

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